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Budget 2025: क्या इस बार मध्यवर्ग को मिलेगी टैक्स में राहत?

भारत का मध्यवर्ग, जो देश की आर्थिक रीढ़ है, अक्सर नीतिगत चर्चाओं में अनदेखा रह जाता है। बजट 2025 के करीब आते ही, इस वर्ग के लिए टैक्स में राहत की मांग तेज़ हो गई है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट ने हाल ही में इस मुद्दे को और गरमा दिया, जिसमें 20-45 आयु वर्ग के मध्यवर्गीय भारतीयों को असली राष्ट्रवादी कहा गया।
Budget 2025: क्या इस बार मध्यवर्ग को मिलेगी टैक्स में राहत?
भारत में हर साल का बजट न केवल देश की आर्थिक दिशा तय करता है, बल्कि करोड़ों लोगों की उम्मीदें भी इससे जुड़ी होती हैं। बजट 2025 के आने की तैयारी के बीच, इस बार चर्चा का केंद्र बना है मध्यवर्ग। यह वही वर्ग है जो देश की अर्थव्यवस्था का आधार है, लेकिन अक्सर नीतिगत चर्चाओं और सुधारों में इसे अनदेखा कर दिया जाता है।

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट ने मध्यवर्ग की दुर्दशा को लेकर बहस छेड़ दी। एक उपयोगकर्ता ने लिखा, "डॉक्टर, सैनिक, और शिक्षक के साथ, असली राष्ट्रवादी वे मध्यवर्गीय लोग हैं जो 20 से 45 साल की उम्र के बीच भारत में रहे। ये वो लोग हैं जो आसानी से विदेश जाकर वहां बस सकते थे, लेकिन उन्होंने कठिन रास्ता चुना और देश के विकास में योगदान दिया।" यह वर्ग न केवल भारतीय समाज का मेरुदंड है, बल्कि यह टैक्स देने वालों का बड़ा हिस्सा भी है। इसके बावजूद, यह वर्ग अक्सर नीतिगत सुधारों में नजरअंदाज कर दिया जाता है।
मध्यवर्ग का सबसे बड़ा मुद्दा ऊंची कर दरें और कम राहत है। पिछले कुछ सालों में, इस वर्ग को टैक्स के बोझ से राहत देने के लिए कोई बड़े कदम नहीं उठाए गए हैं। आर्थिक विशेषज्ञों और उद्योग जगत के दिग्गजों ने अब इस मुद्दे को बजट 2025 से पहले उठाया है। आर्थिक विश्लेषक अक्षत श्रीवास्तव ने हाल ही में कहा, "भारत में ऊंचा टैक्सेशन लोगों के बीच असंतोष बढ़ा रहा है। टैक्स कम करने से लोगों की डिस्पोजेबल इनकम बढ़ेगी, जिससे खर्च बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।"

क्या कहते हैं उद्योग के दिग्गज?

देश के प्रमुख उद्योग मंडलों ने भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक में टैक्स स्लैब में बदलाव का प्रस्ताव रखा है। CII (कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) के अध्यक्ष संजीव पुरी ने सुझाव दिया कि 20 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को टैक्स में राहत दी जानी चाहिए। उनका मानना है कि इससे उपभोग में वृद्धि होगी और राजस्व को नई ऊंचाइयां मिलेंगी। PHDCCI (पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) के सीईओ रणजीत मेहता ने टैक्स स्लैब में पुनर्गठन का सुझाव दिया। उन्होंने प्रस्ताव रखा कि 15 लाख से 50 लाख रुपये की आय पर टैक्स दर 20-25% होनी चाहिए, जबकि 50 लाख से ऊपर की आय पर 30% दर होनी चाहिए।

इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई ने मध्यवर्ग के टैक्स बोझ को असमान बताया। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, "मध्यवर्ग का जीवन यापन महंगा हो गया है। कृपया ईमानदार टैक्सदाता को राहत दें।" उन्होंने सुझाव दिया कि 5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं होना चाहिए। 5-10 लाख रुपये पर 10%, 10-20 लाख रुपये पर 20%, और 20 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30% टैक्स दर होनी चाहिए।

क्या कहता है सरकार का नजरिया?

सरकार ने अभी तक टैक्स राहत को लेकर कोई ठोस बयान नहीं दिया है। हालांकि, बजट 2025 से उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल बजट में नए टैक्स स्लैब पेश किए थे, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह मध्यवर्ग की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा।

मध्यवर्ग सिर्फ टैक्स देने वाला वर्ग नहीं है; यह भारत की उपभोग अर्थव्यवस्था का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस वर्ग को राहत देकर न केवल उनके जीवन स्तर को सुधारा जा सकता है, बल्कि देश की आर्थिक गति को भी बढ़ाया जा सकता है। बजट 2025 एक ऐसा मौका हो सकता है, जहां सरकार मध्यवर्ग की इन चिंताओं को दूर करने के लिए ठोस कदम उठा सकती है। टैक्स स्लैब में बदलाव, उच्च टैक्स दरों में कटौती, और अधिक डिस्पोजेबल इनकम की दिशा में उठाए गए कदम न केवल मध्यवर्ग को राहत देंगे, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा देंगे।

इस बार का बजट सिर्फ आर्थिक सुधारों का नहीं, बल्कि मध्यवर्ग के सपनों और संघर्षों को सम्मान देने का अवसर भी है। क्या सरकार इस अवसर का पूरा लाभ उठाएगी? यह सवाल अभी हर भारतीय के मन में है।
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