अब मछली की त्वचा से आपके मधुमेह के घाव और सूजन का इलाज होगा, जानिए कैसे

साइंस बहुत आगे बढ़ चुका है। हर तरह की बिमारी के लिए एक नहीं कई तरीके है। इन्हीं में से एक है फिश स्किन ट्रांसप्लांट जिसे एसेल्यूलर फिश स्किन भी कहते है। अब फिश स्किन ट्रांसप्लांट, एक नया स्किन सब्स्टिट्यूट है। FDA द्वारा घाव कवरेज के लिए इसकी स्वीकृति मिल चुकी है। जिसके बाद से व्यापक नैदानिक अनुप्रयोग देखा गया है। ये घाव भरने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक नई तकनीक है।
क्या है मछली त्वचा प्रत्यारोपण (फिश स्किन ट्रांसप्लांट) ?
शरीर के किसी दूसरे हिस्से से स्किन लेकर स्किन ट्रांसप्लांट करते हैं । डॉक्टरों ने पाया कि कुछ खास तरह की मछलियों की स्किन का इस्तेमाल करना एक और उपचार विकल्प है। एक्सपर्ट्स फिश स्किन ट्रांसप्लांट को विशेष लैब में संसाधित करते हैं, ताकि डॉक्टर उनका इस्तेमाल मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए कर सकें। मछली की त्वचा के ग्राफ्ट शुरू में इस्तेमाल की जाने वाली मछली की त्वचा की तरह दिखते हैं। मछली की त्वचा के ग्राफ्ट में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। जो ट्रीटमेंट में सहायता कर सकता है। मछली की त्वचा और इंसानी त्वचा में कुछ समान गुण होते हैं, जैसे:
- वसा
- प्रोटीन
- इलास्टिन
लाइकेन
कब किया जाता है मछली की त्वचा का ट्रांसप्लांट?
फिश स्किन ट्रांसप्लांट एक नई चिकित्सा तकनीक है। डॉक्टरों ने कई तरह के घावों,जैसे की जलन के इलाज के लिए इनका इस्तेमाल किया है। जलने से पीड़ित लोगों के लिए इससे कई फायदे हैं , जिनमें दर्द में कमी और तेजी से उपचार शामिल है। डॉक्टरों ने डायविटिज के घाव और त्वचा की चोटों के इलाज के लिए फिश स्किन ट्रांसप्लांट का भी इस्तेमाल किया है। इसमें शरीर के अंग के अलग होने के बाद वाली चोटें भी शामिल हैं।
फिश स्किन ट्रांसप्लांट के बाद क्या स्थिति होती है?
फिश स्किन ट्रांसप्लांट अभी भी एक नया ट्रीटमेंट है, लेकिन इससे फायदा मिल सकता है। बहुत से लोग जो जलने के बाद ठीक हुए है उन्हें इस ट्रीटमेंट के बाद कम दर्द महसूस होता है। फिश स्किन ट्रांसप्लांट जल्द उपचार संक्रमण जैसी जटिलताएं दुर्लभ हैं।
फिश स्किन ट्रांसप्लांट विफलता क्या है?
फिश स्किन ट्रांसप्लांट अपने उपयोग के पहले कई साल में सफल हो सकते हैं। पर इनमें विफलताओं की भी संभावनाएं हैं क्योंकि मछली की त्वचा का ट्रांसप्लांट आपकी आस-पास की त्वचा से नहीं जुड़ सकता है। इसके कई कारण हैं। जैसे
- ड्रेसिंग या ग्राफ्ट के नीचे तरल पदार्थ का जमा होना
- सेरोमा (आपकी त्वचा के नीचे तरल पदार्थ का संचय)
- हेमेटोमा (ग्राफ्ट के नीचे रक्त का संचय)
- संक्रमण
- क्षेत्र में सूजन, जो ग्राफ्ट पर दबाव डालती है
- गति या बल के कारण ग्राफ्ट का टूटना
अगर फिश स्किन ट्रांसप्लांट असफल हो जाए तो दूसरा ट्रांसप्लांट जरूरी हो सकता है।