बचने का बस एक रास्ता है, सिर्फ ये कांट्रेक्ट ही जान बचा सकता है, नहीं किया तो जल्दी कर लिजिए !
भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है जो सीधे लिव-इन पार्टनरशिप को संबोधित करता हो। शीर्ष न्यायालय के अनुसार, एक पुरुष और एक महिला का साथ रहना ‘जीवन के अधिकार’ का हिस्सा है; इसलिए, लिव-इन रिलेशनशिप अब अपराध नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न निर्णयों में कहा है कि एक पुरुष और एक महिला लंबे समय तक पति-पत्नी की तरह रिश्ते में रहते हैं और यहां तक कि उनके बच्चे भी हैं,