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क्या है इंटरपोल का सिल्वर नोटिस, भगोड़ों की संपत्ति पर कैसे होगा प्रहार?

भारत में अपराध करके विदेश भाग जाने वाले अपराधियों के लिए अब बच निकलना आसान नहीं होगा। इंटरपोल ने इस साल एक बड़ा कदम उठाते हुए सिल्वर नोटिस नामक नई पहल शुरू की है। यह नोटिस अपराधियों के खिलाफ न केवल उनकी गिरफ्तारी में मदद करेगा, बल्कि उनके द्वारा अवैध रूप से कमाई गई संपत्तियों को भी निशाना बनाएगा।
क्या है इंटरपोल का सिल्वर नोटिस, भगोड़ों की संपत्ति पर कैसे होगा प्रहार?
भारत में अपराध करके विदेश भाग जाने वाले अपराधियों के लिए अब बच निकलना आसान नहीं होगा। इंटरपोल ने इस साल एक बड़ा कदम उठाते हुए सिल्वर नोटिस नामक नई पहल शुरू की है। यह नोटिस अपराधियों के खिलाफ न केवल उनकी गिरफ्तारी में मदद करेगा, बल्कि उनके द्वारा अवैध रूप से कमाई गई संपत्तियों को भी निशाना बनाएगा।
सिल्वर नोटिस क्या है?
इंटरपोल के पहले से मौजूद आठ रंगों के नोटिसों में 10 जनवरी 2025 से सिल्वर नोटिस को जोड़ा गया है। इसका उद्देश्य है मानव तस्करी, ड्रग्स, साइबर क्राइम, आर्थिक अपराध और भ्रष्टाचार जैसे मामलों में अपराधियों द्वारा विदेशों में बनाई गई संपत्ति का पता लगाना। उन संपत्तियों को सीज करना या उनकी जांच तेज़ करना। पहला सिल्वर नोटिस इटली के अनुरोध पर जारी किया गया है और इसे पायलट प्रोजेक्ट के तहत भारत समेत 52 देशों में लागू किया गया है। नवंबर 2025 तक इसकी सफलता के आधार पर इसे बाकी 195 देशों में लागू किया जाएगा।

भारत में इंटरपोल के साथ काम करने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 2024 में 170 नोटिस जारी किए थे, जिनमें 100 रेड कॉर्नर नोटिस शामिल थे। इनके माध्यम से विदेशों में छिपे 30 भगोड़ों को भारत वापस लाया गया। इस साल सीबीआई ने अपनी टीम को और मज़बूत किया है। तीन वरिष्ठ अधिकारियों को इंटरपोल के फ्रांस हेडक्वार्टर और सिंगापुर में नियुक्त किया गया है। इससे भगोड़ों को पकड़ने और उनकी संपत्तियों की जानकारी जुटाने की प्रक्रिया में तेजी आएगी।
कैसे काम करेगा सिल्वर नोटिस?
सिल्वर नोटिस का लक्ष्य अपराधियों की आर्थिक जड़ों को खत्म करना है। अक्सर अपराधी अपने अपराध से कमाए गए धन को विदेशों में संपत्तियों में बदल देते हैं। यह नोटिस उन संपत्तियों का पता लगाने में मदद करेगा और उन पर कार्रवाई करेगा।
यह कदम भगोड़ों की आर्थिक कमर तोड़ने के लिए बेहद कारगर साबित होगा, जिससे वे न केवल छिपने में नाकाम रहेंगे, बल्कि उनके पास आर्थिक रूप से भी बचने का कोई विकल्प नहीं रहेगा।

इंटरपोल ने इससे पहले रेड कॉर्नर, ब्लू, ग्रीन, येलो, ब्लैक, ऑरेंज, और पर्पल नोटिस जारी किए हैं। हर नोटिस का अपना उद्देश्य है जैसे रेड कॉर्नर नोटिस भगोड़ों को गिरफ्तार करने और प्रत्यर्पण में मदद। ग्रीन नोटिस अपराधियों की गतिविधियों पर निगरानी। येलो नोटिस गुमशुदा व्यक्तियों की खोज। अब सिल्वर नोटिस को जोड़कर इंटरपोल ने अपराधियों पर शिकंजा कसने का और बड़ा कदम उठाया है।

भारत में कई बड़े आर्थिक अपराधियों ने अपराध करके विदेशों में शरण ली है। विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी जैसे मामले इसका बड़ा उदाहरण हैं। सिल्वर नोटिस इन भगोड़ों की विदेशों में बनी संपत्तियों का पता लगाने और उन्हें सीज करने में मदद करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि सिल्वर नोटिस के माध्यम से भारत और अन्य देशों में भगोड़ों को पकड़ने की प्रक्रिया तेज होगी। इसके अलावा, यह अपराधियों को आर्थिक रूप से कमजोर करेगा, जिससे अपराध करने से पहले वे कई बार सोचने पर मजबूर होंगे।

सिल्वर नोटिस इंटरपोल का एक क्रांतिकारी कदम है, जो अपराधियों को हर स्तर पर घेरने में मदद करेगा। यह पहल न केवल भगोड़ों को पकड़ने में सहायक होगी, बल्कि अपराध के पैसों से बने उनके साम्राज्य को भी खत्म करेगी। इससे कानून का डर बढ़ेगा और अपराधियों के लिए विदेश भागना अब पहले जैसा आसान नहीं होगा।
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