कर्नाटक के बाद गुजरात में HMPV का कहर, 2 महीने का बच्चा हुआ संक्रमित
कर्नाटक के बेंगलुरु में एचएमपीवी (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) के दो मामलों के बाद, गुजरात के अहमदाबाद में भी 2 महीने के बच्चे में इस संक्रमण की पुष्टि हुई है। यह बच्चा राजस्थान के डुंगरपुर से इलाज के लिए अहमदाबाद आया था। एचएमपीवी एक श्वसन तंत्र से जुड़ा वायरस है, जो खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित करता है।

भारत में स्वास्थ्य को लेकर एक बार फिर चिंता का माहौल है। हाल ही में कर्नाटक के बाद गुजरात के अहमदाबाद में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) का मामला सामने आया है। अहमदाबाद के चांदखेडा इलाके में एक दो महीने का बच्चा इस वायरस से संक्रमित पाया गया। इस खबर ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया, खासकर जब यह पता चला कि इससे पहले बेंगलुरु में भी ऐसे मामले दर्ज हुए थे। हालांकि, सरकार ने घबराने की कोई बात न होने की बात कही है, लेकिन इसके बावजूद आम जनता में डर और जिज्ञासा बनी हुई है।
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) एक प्रकार का वायरस है जो श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। यह मुख्य रूप से बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित करता है। इस वायरस का पहली बार 2001 में पता चला था और तब से यह दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में देखा गया है। यह वायरस खासकर ठंड के मौसम में अधिक सक्रिय होता है और फ्लू जैसे लक्षण पैदा करता है।
गुजरात और कर्नाटक से आए मामले
गुजरात में संक्रमित बच्चा राजस्थान के डुंगरपुर से इलाज के लिए अहमदाबाद लाया गया था। उसकी स्थिति स्थिर बताई गई है। इससे पहले बेंगलुरु के बैपटिस्ट अस्पताल में 8 महीने के एक बच्चे और 3 महीने की एक बच्ची में यह वायरस पाया गया। दोनों बच्चों में सांस लेने में दिक्कत के कारण यह वायरस सामने आया। विशेषज्ञों का कहना है कि इन मामलों की कोई अंतरराष्ट्रीय यात्रा की पृष्ठभूमि नहीं है, जिससे यह सवाल उठता है कि यह वायरस स्थानीय स्तर पर कैसे फैल रहा है।
लक्षण और रोकथाम के उपाय
एचएमपीवी के लक्षण फ्लू से मिलते-जुलते हैं, जिनमें बुखार, खांसी, गले में खराश, सांस लेने में दिक्कत, थकान और भूख न लगना शामिल हैं। बच्चों में यह वायरस ब्रोन्कोपमोनिया का कारण बन सकता है। इससे बचाव के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों ने निम्नलिखित उपाय सुझाए है। एचएमपीवी और कोविड-19 दोनों श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं और फ्लू जैसे लक्षण पैदा करते हैं। हालांकि, दोनों अलग-अलग वायरस हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि एचएमपीवी कोविड-19 जितना घातक नहीं है, लेकिन इसकी रोकथाम और पहचान बेहद जरूरी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) देश भर में सांस से जुड़ी बीमारियों की मॉनिटरिंग कर रहा है। दिल्ली में अस्पतालों को सतर्क कर दिया गया है और आईएचआईपी पोर्टल के माध्यम से हर केस की रिपोर्टिंग अनिवार्य कर दी गई है। साथ ही अस्पतालों में ऑक्सीजन और जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।
हालांकि, सोशल मीडिया पर इस वायरस को लेकर कई तरह की अफवाहें फैल रही हैं, लेकिन अभी तक स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसे महामारी का रूप लेने से इनकार किया है। भारत सरकार का कहना है कि इस वायरस के लिए किसी विशेष प्रोटोकॉल की जरूरत नहीं है और यह मौसमी फ्लू जैसा ही है। एचएमपीवी के मामले भारत में नए नहीं हैं, लेकिन इसकी रोकथाम और पहचान को लेकर जागरूकता की कमी है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। इसके अलावा, स्वच्छता और सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना इस वायरस के प्रसार को रोकने में मदद कर सकता है।
एचएमपीवी भले ही कोविड-19 जैसा खतरनाक न हो, लेकिन इसकी अनदेखी करना भारी पड़ सकता है। भारत सरकार और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से उठाए गए कदम सराहनीय हैं, लेकिन जनता को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। जागरूकता, सतर्कता और समय पर इलाज ही इस वायरस से बचने का सही तरीका है।