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जब प्रिंस फिलिप ने पूछा मनमोहन सिंह की पगड़ी का राज…सुनाया दिलचस्प किस्सा

Manmohan Singh अक्सर नीली पगड़ी पहना करते थे. उनकी पगड़ी का रंग नीला ही क्यों होता था इसके पीछे भी एक दिलचस्प वजह है
जब प्रिंस फिलिप ने पूछा मनमोहन सिंह की पगड़ी का राज…सुनाया दिलचस्प किस्सा

"देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हमारे बीच नहीं रहे. उन्होंने 26 दिसंबर की रात दिल्ली AIIMS में अंतिम सांस ली. बेहद कम बोलने वाले मनमोहन सिंह हमेशा के लिए मौन हो गए.अपने फ़ैसलों से देश की तस्वीर और तक़दीर बदलने वाले मनमोहन सिंह अपनी सादगी, हाव-भाव और पगड़ी को लेकर भी चर्चा में रहे. उनकी पगड़ी का रंग अक्सर नीला ही रहता था. लेकिन क्या आपको पता है मनमोहन सिंह की पगड़ी के नीले रंग के पीछे एक गहरी बात, गहरा राज छुपा हुआ था? चलिए जानते हैं।

मनमोहन सिंह ने 1954 में पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री की। इसके बाद 1957 में उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से फ़र्स्ट क्लास ऑनर्स की डिग्री हासिल की थी। अब आ जाइए साल 2006 में। डिग्री हासिल करने के क़रीब 50 साल बाद कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट ऑफ लॉ की उपाधि से सम्मानित करने के लिए बुलाया था। ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग, प्रिंस फ़िलिप ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि दी। इस दौरान प्रिंस फ़िलिप का ध्यान उनकी पगड़ी पर गया। अपने भाषण में प्रिंस फ़िलिप ने वहां मौजूद लोगों से कहा, "आप उनकी यानी मनमोहन सिंह की पगड़ी के रंग पर ध्यान दे सकते हैं।"

इसके जवाब में मनमोहन सिंह ने पगड़ी के नीले रंग से जुड़ा राज बताया। उन्होंने कहा, "नीला रंग उनके अल्मा मेटर कैम्ब्रिज का प्रतीक है। कैम्ब्रिज में बिताए उनके दिनों की यादें बहुत गहरी हैं। जिनसे उन्हें ख़ास लगाव है। वहीं हल्का नीला रंग उनका फ़ेवरेट भी है। इसलिए अक्सर वे नीले रंग की पगड़ी पहनते हैं। कैंब्रिज के डॉ. सिंह के साथी उन्हें 'ब्लू टर्बन' भी कहा करते थे।"

 कैंब्रिज में सबसे शर्मीले छात्र

मनमोहन सिंह के मिज़ाज में जितनी सादगी और सरलता थी, उतने ही वे शर्मीले भी थे। उनका शर्मीला स्वभाव और कम बोलना उनके व्यक्तित्व की पहचान बन गई थी। एक इंटरव्यू में मनमोहन सिंह ने शर्मीले स्वभाव से जुड़ा एक क़िस्सा भी सुनाया था। वे कैंब्रिज विश्वविद्यालय में अकेले सिख छात्र थे। हॉस्टल में नहाने के समय वे सबसे आख़िरी में जाया करते थे, क्योंकि उन्हें अपने लंबे बालों से शर्म आती थी। इसलिए वे आख़िरी में नहाते थे। तब तक तो गर्म पानी भी ख़त्म हो जाता था, इसलिए उन्हें ठंडे पानी से ही नहाना पड़ता था।

मनमोहन सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में देश को कई ऐसे ऐतिहासिक मौके दिए, जिनकी चर्चा हमेशा होती रहेगी। उन्होंने देश की डूबती अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकी।

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